रिपोर्ट - ललित मुखर्जी
महासमुंद (स्वाभिमान न्यूज़)। जिले के एक सरकारी स्कूल में कलेक्टर दर पर चपरासी भर्ती करने में जमकर घोटाला किया गया है। जिम्मेदारों द्वारा बिना विज्ञापन (वैकेंसी) निकाले , उम्मीदवारों से आवेदन मंगाए बिना ही अपने ससुराल के लोगों की गुपचुप तरीके से भर्ती की गई। इस स्कूल में पदस्थ प्राचार्य ने नियमों के धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ा और अपने रिश्तेदारों तथा घनिष्ठों की सीधे नियुक्ति कर दिया गया। अब मामला मीडिया में आने के बाद प्राचार्य को पोल खुलने और कार्रवाई होने की चिंता सता रही है।
राज्य में बेरोजगारी का दर इस कदर है कि एक पद की भर्ती में हजारों लाखों अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन भरा जाता है। लेकिन यहां चपरासी के 5 पदों के भर्ती में आवेदन आमंत्रित किये बिना ही इस सरकारी स्कूल के प्राचार्य द्वारा अपने ससुराल पक्ष के रिश्तेदारों और घनिष्ठों की नियुक्ति खटाखट कर दिया गया। इनके द्वारा अपने रिश्तेदारों की नियुक्ति नियमविरुद्ध किया गया है। नियमों के अनुसार इनकी भर्ती हो ही नहीं सकती थी। क्योंकि नियम में स्थानीय लोगों की भर्ती इस पद के लिए की जानी थी। लेकिन इन जिम्मेदार शासकीय कर्मचारियों के द्वारा अभ्यर्थियों से आवेदन मंगाए बिना ही धड़ाधड़ अपने रिश्तेदारों की नियुक्ति कर दिया गया।
पूरा मामला स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल पिथौरा का है। जहां कलेक्टर दर पर पांच पदों की भर्ती चपरासी के पद हेतु की जानी थी। जिसमें स्थानीय योग्य अभ्यर्थी ही पात्र थे। यानी पिथौरा का स्कूल है तो पिथौरा नगर के स्थानीय निवासी ही इस पद के लिए उपयुक्त थे । यह सरकारी आदेश के पत्र में स्पष्ट उल्लेख है।
लेकिन प्राचार्य मायाधर प्रधान के द्वारा अपने ससुराल ग्राम सीतापुर जो कि पिथौरा नगर से करीब 50 किलोमीटर दूर स्थित है। वहां के तीन लोगों की नियुक्ति कर दिया गया। इन तीन में से दो लोग आपस में सगे भाई हैं। जिनका नाम रमाकांत प्रधान और प्रवीण प्रधान है। जबकि एक युवक अक्षय भोई सीतापुर गांव का ही निवासी है जो की इस प्राचार्य के घनिष्ठ हैं। वही एक युवक त्रिलोचन सरायपाली का निवासी है। जबकि 1 युवक अशोक यादव पिथौरा का स्थानीय निवासी है, जिनकी नियुक्ति किया गया है। इस तरह इन पांचों लोगों की भर्ती सरकारी नियमों के विपरीत किया गया है। कलेक्टर दर पर चपरासी पद के भर्ती के लिए जारी आदेश की कॉपी में स्पष्ट उल्लेख है कि इस पद के लिए स्थानीय लोगों से ही आवेदन आमंत्रित कर नियुक्ति की जानी थी। लेकिन साहब के आगे सरकारी नियम का कोई महत्व नहीं है।
कलेक्टर से की शिकायत, जाँच कर FIR दर्ज करने की मांग
अभ्यर्थियों से आवेदन मंगाई बिना ही और सरकारी नियमों का धज्जियां उड़ाते हुए प्राचार्य एम.डी. प्रधान के द्वारा धड़ाधड़ अपने रिश्तेदारों और घनिष्ठों की नियुक्ति किया गया। इस पद के भर्ती के लिए कोई पारदर्शिता नहीं लाया गया । ना ही लोगों को जानकारी दिया गया। गुपचुप तरीके से पांचो पदों की भर्ती कर दिया गया। इस पूरे मामले की शिकायत महासमुंद कलेक्टर प्रभात मालिक से किया गया है। और टीम गठित कर निष्पक्ष जाँच कर दोषी पाए जाने पर जिम्मेदारों के विरुद्ध पुलिस थाना में एफआईआर दर्ज करने कि मांग किया गया है ।
इस संबंध में प्राचार्य मयाधर प्रधान ने पहले तो गोलमोल जवाब दिया और कहा कि स्थानीय निवासी नहीं मिलने पर इनकी नियुक्ति किया गया है। ये सभी लोग अच्छे कार्य करने में निपुण है। इसलिए इनकी भर्ती किया गया है। पद के भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित नहीं किया गया था।