आंजनेय पांडेय के साथ कैफ खान की रिपोर्ट
रायगढ़ (स्वाभिमान न्यूज़)। शहर की कुलदेवी बूढ़ी माई मंदिर ट्रस्ट की लगभग 7.36 एकड़ जमीन पर वर्षों से हो रहे अवैध कब्जों का मामला एक बार फिर गंभीर रूप से उठ खड़ा हुआ है। ट्रस्ट की ओर से लगातार शिकायतों, न्यायालय के आदेश और तहसीलदार द्वारा जारी निर्देशों के बावजूद अब तक जमीन का पूर्ण सीमांकन नहीं हो सका है। इससे प्रशासन की कार्यशैली और राजस्व विभाग की भूमिका पर गंभीर प्रश्न खड़े हो रहे हैं।
खसरा नंबर 25/1 अभिलेख से विलोपित होने का आरोप
ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय ने जिला कलेक्टर को दिए आवेदन में आरोप लगाया है कि ट्रस्ट की जमीन खसरा नंबर 25/1 को जानबूझकर राजस्व अभिलेख (कंप्यूटर भूईया) से हटा दिया गया है। आरोप है कि यह कार्रवाई राजस्व अधिकारियों और भू-माफियाओं की मिलीभगत से की गई है, जिससे बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण को बढ़ावा मिला।
ट्रस्ट की कृषि भूमि ग्राम दरोगामुड़ा, हल्का नंबर-22, तहसील व जिला रायगढ़ में स्थित है। इसके खसरा नंबर 24/1, 25/1, 36, 37 व 52 कुल रकबा 3.065 हेक्टेयर की भूमि पर पूर्ण सीमांकन आज तक लंबित है।
26 लोगों को जारी हुआ था सीमांकन नोटिस
तात्कालीन तहसीलदार द्वारा अवैध कब्जों की पुष्टि के बाद 26 लोगों और संस्थानों को नोटिस भेजा गया था। इनमें शिवकुमार नायक, प्रहलाद पटेल, रोहित महंत, गोपाल कृष्ण जलतारे, दामोदर खेतान, बालकृष्ण जलतारे, अशोक शर्मा, आराधना नायक, अशोक अग्रवाल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा.लि., अघरिया सदन, प्रणामी मंदिर, सिद्धेश्वर नेत्रालय, जलतारे होटल, मार्बल दुकान, साहू इलेक्ट्रिकल सहित कई अन्य नाम शामिल हैं।नोटिस जारी होने के बावजूद कब्जा हटाने की दिशा में आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो पाई।
अतिरिक्त कलेक्टर के आदेश के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई
26 जून 2023 को अतिरिक्त कलेक्टर रायगढ़ ने भू-राजस्व संहिता की धारा-129 के तहत सीमांकन का आदेश पारित किया था।
इसके बाद तहसीलदार शिव डनसेना ने राजस्व निरीक्षकों व पटवारियों की संयुक्त टीम को 17 नवंबर 2025 तक सीमांकन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।
निर्धारित तिथि बीत जाने के बाद भी मौके पर कोई हलचल नहीं देखी गई। इस लापरवाही से ट्रस्ट समिति ने पुनः कलेक्टर को शिकायत भेजने की बात कही है।
ट्रस्ट की जमीन पर बना थाना, अस्पताल और कॉलोनियाँ
ट्रस्ट की भूमि पर न केवल निजी व्यक्तियों द्वारा बल्कि प्रशासन द्वारा भी निर्माण किए जाने का आरोप है। बताया गया है कि—
कोतरा रोड थाना
सिद्धेश्वर नेत्रालय
अघरिया सदन
दुकानें व शोरूम
कॉलोनियां और मकान
रुक्मणि विहार मार्ग
सभी ट्रस्ट की जमीन पर ही निर्मित हैं। भूमि की बेशकीमती लोकेशन के कारण यह क्षेत्र भू-माफियाओं का प्रमुख निशाना रहा है।
सीमांकन अधूरा, कब्जाधारी हुए मजबूत
पूर्व में राजस्व टीम द्वारा सीमांकन किया गया था, जिसमें यह प्रमाणित हुआ कि खसरा नंबर 24/1, 25/1, 36, 37 और 52 की जमीन बूढ़ी माई मंदिर ट्रस्ट की है। किसने कितना कब्जा किया है, यह भी माप में आ चुका था।
इसके बावजूद कब्जाधारियों को बेदखल करने या निर्माण रोकने की दिशा में शून्य कार्रवाई दर्ज की गई। परिणामस्वरूप कई कब्जाधारियों ने मौके का फायदा उठाकर निर्माण कार्य और अधिक मजबूत कर लिया।
जमीन की बढ़ती कीमत, भू-माफियाओं की बढ़ती सक्रियता
रायगढ़ में औद्योगीकरण और जनसंख्या वृद्धि के चलते जमीन की मांग तेजी से बढ़ी है। ट्रस्ट की जमीन शहर के पॉश इलाके में स्थित होने से भू-माफिया, रसूखदार तथा प्रभावी व्यक्तियों की निगाहें लंबे समय से इस पर टिकी रही हैं। आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता ने अवैध कब्जों को खुली छूट दे दी है।
ट्रस्ट की अपेक्षा— कार्रवाई हो, जमीन वापस मिले
ट्रस्ट अध्यक्ष देवेंद्र पांडेय ने कहा है कि तहसीलदार और एसडीएम से चर्चा हुई है तथा आश्वासन दिया गया है कि 4 तारीख के बाद सीमांकन प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
श्रद्धालु और नगरवासी अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि प्रशासन इस लंबे समय से लंबित गंभीर प्रकरण में जल्द ठोस कार्रवाई करेगा और देवी मंदिर की जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराएगा।
(रायगढ़ संवाददाता)




