रायगढ़ से आँजनेय पाण्डेय के साथ कैफ खान की रिपोर्ट
रायगढ़ (स्वाभिमान न्यूज़)। सराईटोला ग्राम पंचायत के आश्रित गांव मुड़ागांव के फॉरेस्ट लैंड (पतरा क्षेत्र) में महाजेनको की खनन सहयोगी कंपनी अडानी ने आज से ब्लास्टिंग गतिविधियों की आधिकारिक शुरुआत कर दी। लंबे समय से प्रस्तावित इस खनन परियोजना के शुरू होते ही क्षेत्र में औद्योगिक गतिविधियां तेज हो गई हैं, लेकिन दूसरी ओर ग्रामीणों की कई मूलभूत समस्याएं अब भी अनसुलझी हैं।
ग्रामीणों के लिए प्रस्तावित लगभग 7 करोड़ रुपये के मुआवज़े की चर्चा तो महीनों से चल रही है, परंतु आज तक किसी भी परिवार को वास्तविक भुगतान नहीं मिल पाया है। ग्रामीणों का कहना है कि खनन शुरू होने से पहले सर्वे, मूल्यांकन और भुगतान की पूरी प्रक्रिया करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन ब्लास्टिंग शुरू होने के बाद भी यह वादा अधूरा है।
ब्लास्टिंग और खनन गतिविधियां बढ़ने से क्षेत्र में भू-जल स्तर गिरने की आशंका भी जताई जा रही है। स्थानीय किसानों का कहना है कि पतरा क्षेत्र में पहले ही पानी की उपलब्धता सीमित है और बड़े पैमाने पर खनन होने से कुओं, हैंडपंपों और कृषि भूमि में जलसंकट गहराने की संभावना है। वन क्षेत्र के प्राकृतिक जलस्रोत भी प्रभावित हो सकते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कंपनी की भारी मशीनरी और गहरे खनन से पर्यावरणीय दबाव कई गुना बढ़ जाएगा।
ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि मुड़ागांव की निजी भूमि का सर्वे अब तक शुरू ही नहीं हुआ है। कई लोगों को यह स्पष्ट नहीं बताया गया है कि उनकी कितनी जमीन प्रभावित होगी, अधिग्रहण की दर क्या तय होगी और भुगतान कब किया जाएगा। भूमि रिकॉर्ड और सर्वे की अस्पष्ट स्थिति के बीच ब्लास्टिंग की शुरुआत होने से ग्रामीणों में अविश्वास और असंतोष बढ़ गया है।
ग्रामीण संगठनों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने कंपनी और प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जब मुआवज़ा, सर्वे और जल-प्रभाव अध्ययन जैसी आवश्यक प्रक्रियाएं पूरी नहीं हुई हैं, तो इतनी जल्दबाजी में ब्लास्टिंग शुरू करने की क्या आवश्यकता थी। संवाद और पारदर्शिता के अभाव में भविष्य में तनाव की स्थिति पैदा होने की आशंका भी जताई गई है। ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल सुनवाई करने और उनकी समस्याओं के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाने की मांग की है।
मुड़ागांव के ग्रामीणों का कहना है कि वे विकास और औद्योगिक परियोजनाओं के विरोधी नहीं हैं, लेकिन उनके अधिकारों, मुआवज़े, जलस्रोतों की सुरक्षा और पुनर्वास नीति को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। क्षेत्र में खनन गति पकड़ चुका है, ऐसे में ग्रामीणों की निगाह अब प्रशासन और कंपनी के अगले कदम पर टिकी हुई है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि लोगों की चिंताओं का समाधान कितनी संवेदनशीलता और गंभीरता से किया जाता है।

