रिपोर्ट - ललित मुखर्जी
बसना (स्वाभिमान न्यूज़)। बसना पुलिस की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में है, क्योंकि जाड़ामुड़ा धान खरीदी घोटाले मामले में 14 लोगों के विरुद्ध धारा 420, 120बी, 467, 468, 471 एवं 34 के तहत अपराध दर्ज है। किंतु अब तक इनमें से किसी एक भी व्यक्ति को पुलिस पकड़ नहीं पाई है।
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कार्टून फोटो - इंटरनेट से लिया गया |
ये वही शातिर लोग हैं जो दूसरों के करीब 200 एकड़ खेत (जोत रकबा) को अपने खाते में जोड़कर करोड़ों रुपये के धान बेचे हैं। सरकार के खजाने को करीब 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। ये आरोपी अपने गाँव में बेख़ौफ़ घूम रहे हैं। किंतु बसना पुलिस इनको गिरफ्तार नहीं कर पा रही है। पुलिस के आने की खबर मिलते ही मोबाइल बंद कर सभी आरोपी गायब हो जाते हैं। पुलिस के वापस जाने के बाद सभी व्यक्ति 15 मिनट के भीतर पुनः घर वापस आ जाते हैं। जबकि 8 से 10 आरोपी एक ही गाँव के निवासी हैं। इन आरोपियों को पुलिस के आने की ख़बर कहाँ से मिलती है ? क्या पुलिस इनको बताकर गाँव आती है ! या बसना थाना का कोई गुप्तचर आरोपियों को सूचना देता है! इस केस में पुलिस और आरोपियों के बीच कोई तालमेल है या आंख मिचौली का खेल चल रहा है, ये समझ से परे है।
वहीं सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि बसना थाना के एक "साहब" से आरोपियों की डील हुई है, कि अग्रिम जमानत हेतु माननीय उच्च न्यालालय का फैसला आते तक गिरफ्तार नहीं करना है। गिरफ्तारी में देरी होने का कारण ये बड़ा वजह हो सकता है, तमाम आरोपी खुलेआम घुम रहे हैं और पुलिस के हांथ ख़ाली है।
"अगर बीरबल की खिचड़ी पकने जैसा पुलिसिया कार्रवाई हो तो कानून के ऊपर लोगों का भरोसा कैसे रहेगा।" इस मामले में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुश्री प्रतिभा तिवारी का कहना है कि पुलिस और सायबर सेल कि टीम आरोपियों के ठिकानों पर जा रही है लेकिन अब तक सभी आरोपी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं l
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