स्वाभिमान न्यूज़ | आँजनेय पाण्डेय, कैफ खान
फ्लाईएश ब्रिक्स प्लांट तक पहुँच मार्ग बनाने सरकारी भूमि पर की गई बड़ी कार्रवाई — पर्यावरण को गंभीर खतरा
रायगढ़। मेडिकल कॉलेज रोड की हरियाली, जो शहर के पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, तेजी से समाप्त होती जा रही है। एक ओर रिजर्व फॉरेस्ट व पहाड़, तथा दूसरी ओर छोटे झाड़ों का घना जंगल – इस क्षेत्र की पहचान रहे हैं। किंतु पिछले दिनों क्षेत्र में स्थित एक फ्लाईएश ब्रिक्स प्लांट तक पहुँचने के लिए लगभग एक किलोमीटर लंबी और 30 फीट चौड़ी सड़क बनाने हेतु बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई की गई है। इससे सरकारी भूमि पर संरक्षित प्राकृतिक वनस्पति को गंभीर क्षति पहुँची है।
स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो खेतों के अंदर स्थापित ब्रिक्स प्लांट तक पहुँचने के लिए बनाए गए इस ‘शॉर्टकट’ मार्ग के कारण पूरी ज़मीन का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ गया है। छोटे-बड़े पेड़ों से आच्छादित यह इलाका अब उजाड़ में तब्दील हो चुका है। नागरिकों का कहना है कि इस प्रकार की अवैध गतिविधियाँ भविष्य में पूरे जंगल को नष्ट कर सकती हैं।
इसी मार्ग पर कुछ समय पूर्व अवैध मुरुम खनन का मामला सामने आया था, जिसमें ट्रैक्टर और जेसीबी जब्त किए गए थे। बावजूद इसके, अवैध खनन की गतिविधियाँ थमी नहीं हैं। उसी रोड पर एक अन्य स्थान पर लगभग आधा एकड़ में गहरा गड्ढा देखा जा रहा है, जहाँ पुनः अवैध खनन किए जाने के स्पष्ट संकेत मिलते हैं। इसके बावजूद खनिज विभाग की ओर से अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।
जानकारों के अनुसार, रायगढ़ का इकोसिस्टम पहले ही औद्योगिक गतिविधियों के कारण दबाव में है। ऐसे में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, जंगल का क्षरण और खनन गतिविधियाँ तापमान वृद्धि, मिट्टी कटाव और जैव विविधता पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। पौधरोपण और वन संवर्धन की योजनाएँ कागज़ों में तो सक्रिय दिखती हैं, मगर जमीनी स्तर पर परिणाम नगण्य हैं।
नागरिकों का कहना है कि पेड़ काटने और जंगल उजाड़ने वालों पर तत्काल एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए तथा सरकारी भूमि को हुए नुकसान की भरपाई करवाई जाए। इसके अलावा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत दोषियों पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति इस प्रकार की अवैध गतिविधियों को अंजाम देने का साहस न कर सके। साथ ही मेडिकल कॉलेज रोड की हरियाली को संरक्षित रखने एवं इसके प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखने के लिए एक स्थायी योजना तैयार किए जाने की भी मांग जोर पकड़ रही है।

