बस्तर की महिला समितियों के अधिकारों पर संकट: रेडी टू ईट योजना में असंगत शर्तों को लेकर आप का विभाग पर बड़ा आरोप

रिपोर्ट - अरुण पांडेय 

जगदलपुर स्वाभिमान न्यूज़ । बस्तर में महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करने वाले समूहों को उस समय झटका लगा, जब महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आंगनबाड़ियों में पूरक पोषण आहार वितरण के लिए "रेडी टू ईट" योजना के तहत अभिव्यक्ति की शर्तें जारी की गईं। आम आदमी पार्टी ने इन शर्तों को "अत्यधिक, असंगत और पूर्वनियोजित" करार देते हुए, विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं।




प्रदेश सचिव तरुणा साबे ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि इस योजना में स्थानीय महिला समितियों की भागीदारी के लिए एक दिखावटी प्रक्रिया अपनाई जा रही है। उनके अनुसार, "अभिव्यक्ति की रुचि" के लिए स्थानीय महिला समूहों को पर्याप्त समय नहीं दिया गया, वहीं प्रस्तावित नियम इतने कठोर बनाए गए हैं कि आर्थिक रूप से सामान्य और कमजोर समूहों के लिए भाग लेना लगभग असंभव हो गया है।


तरुणा साबे ने बताया कि निर्धारित वित्तीय शर्तें और जटिल पात्रता मानदंड इस ओर संकेत करते हैं कि योजना को केवल कुछ विशेष समूहों के हित में गढ़ा गया है। उन्होंने कहा कि यह केवल महिला समितियों के अधिकारों का हनन नहीं, बल्कि महिला सशक्तिकरण के नाम पर एक खोखली पहल है।


प्रमुख आरोप और आप की मांगें:


  1. वित्तीय शर्तें असंगत:
    बस्तर जैसे आदिवासी और आर्थिक रूप से कमजोर क्षेत्र में महिला समितियों के पास बड़ी धनराशि की उपलब्धता अपेक्षित नहीं है, फिर भी शर्तों में अत्यधिक निवेश की अनिवार्यता शामिल है। यह एक सोची-समझी रणनीति प्रतीत होती है, जिससे अधिकांश स्थानीय समितियां स्वतः बाहर हो जाएं।

  2. पूर्वनियोजित चयन की आशंका:
    आप ने दावा किया कि नियमों में ऐसे प्रावधान जोड़े गए हैं जिससे कुछ खास समितियों को ही लाभ मिल सके। इससे निष्पक्ष और पारदर्शी चयन प्रक्रिया पर सवाल उठने लगे हैं।

  3. महिला सशक्तिकरण को चोट:
    बस्तर की महिलाएं लंबे समय से स्थानीय स्तर पर विकास में योगदान दे रही हैं। लेकिन उन्हें अवसर देने के बजाय, सरकारी विभाग द्वारा उनकी भागीदारी को बाधित करने की कोशिश की जा रही है। यह उनके आत्मनिर्भर बनने की राह में रोड़ा बन रहा है।

  4. मांगें स्पष्ट:
    आम आदमी पार्टी ने तीन प्रमुख मांगें रखी हैं:

    • वित्तीय एवं पात्रता शर्तों में तत्काल संशोधन हो।
    • चयन प्रक्रिया की निष्पक्ष समीक्षा हो और पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए।
    • किसी एक ही समिति को पूरा कार्य सौंपने की प्रक्रिया पर रोक लगे।


बस्तर की आवाज को न दबाया जाए

आम आदमी पार्टी ने कहा कि विभागीय अधिकारी स्थानीय महिला समितियों के अधिकारों को नजरअंदाज कर, कुछ शहरी या बाहरी समूहों को प्राथमिकता देने की कोशिश कर रहे हैं। यह न केवल नीति के उद्देश्य के खिलाफ है, बल्कि स्थानीय महिलाओं के आत्मविश्वास और भूमिका को भी कम करता है। पार्टी ने इस मामले में जिला कलेक्टर से हस्तक्षेप कर विभाग को नियमों में बदलाव के निर्देश देने की अपील की है।


तरुणा साबे का स्पष्ट संदेश:
"हम बस्तर की मेहनती महिलाओं के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। यह केवल एक योजना का मामला नहीं, बल्कि महिला अधिकारों, न्याय और सामाजिक समावेशिता का प्रश्न है। हम तब तक संघर्ष करेंगे, जब तक सभी महिला समितियों को समान अवसर और सम्मान नहीं मिल जाता।"


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