आँजनेय पाण्डेय, 9131722330
रायगढ़ : जिले के पूंजीपथरा में प्रस्तावित ग्रीनफील्ड स्टील प्लांट को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। मेसर्स प्रिस्मो स्टील्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रस्तावित इस परियोजना का स्थानीय ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध किया है। उनका कहना है कि यह परियोजना जल, जंगल, जमीन और वन्यजीवन पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
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प्रतिकात्मक तस्वीर |
ग्रीनफील्ड स्टील प्लांट में डीआरआई किल्न्स (3,63,000 टीपीए), इंडक्शन फर्नेस (2,64,000 टीपीए), रोलिंग मिल्स, कोल वाशरी, 50 मेगावाट का पावर प्लांट और ईंट निर्माण इकाई की स्थापना की योजना है। इस परियोजना के तहत प्रदूषण नियंत्रण के दावे किए गए हैं, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि यह दावे केवल कागजों तक सीमित हैं। रायगढ़ पहले से ही औद्योगिक प्रदूषण की समस्या से प्रभावित है। ग्रामीणों का कहना है कि नए उद्योगों के आने से वायु, जल और भूमि प्रदूषण में वृद्धि होगी। क्षेत्र में जल संकट और वन्यजीवन पर संकट गहराने की संभावना भी जताई जा रही है।
जनसुनवाई पर उठे सवाल
पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए 23 दिसंबर 2024 को पूंजीपथरा में जनसुनवाई आयोजित की गई है। हालांकि, ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों का आरोप है कि यह प्रक्रिया औपचारिकता मात्र है, और उनकी चिंताओं को अनदेखा किया जा रहा है।
ग्रामीणों और संगठनों का विरोध
उमाबदन सेवा समिति सहित कई संगठनों ने इस परियोजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि प्रशासन केवल औद्योगिक विकास को प्राथमिकता दे रहा है, जबकि जनता और पर्यावरण की अनदेखी की जा रही है।
प्रभावित गांवों में असंतोष
स्टील प्लांट से आधा दर्जन से अधिक गांव प्रभावित होंगे। स्थानीय लोग प्लांट के धुएं और कचरे से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों, जलस्रोतों की कमी, और वन्यजीवन के नष्ट होने को लेकर चिंतित हैं।
प्रशासन की दोहरी चुनौती
प्रशासन के सामने दोहरी चुनौती है—औद्योगिक विकास को बढ़ावा देना और पर्यावरण व जनता के हितों की रक्षा करना। 23 दिसंबर को होने वाली जनसुनवाई में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों की चिंताओं को कितनी गंभीरता से लिया जाता है।
क्या रायगढ़ का पर्यावरणिक भविष्य औद्योगिक विकास की कीमत पर सुरक्षित रहेगा? यह सवाल जनसुनवाई और प्रशासन की प्राथमिकताओं पर निर्भर करेगा।