उमा बदन सेवा समिति करेगी स्कैनिया स्टील प्लांट के विस्तार का विरोध, एनजीटी और हाईकोर्ट तक जाने की चेतावनी

रायगढ़ (स्वाभिमान न्यूज़) : रायगढ़ स्थित स्कैनिया स्टील एंड पावर प्राइवेट लिमिटेड के मौजूदा स्टील संयंत्र के प्रस्तावित विस्तार और इसकी आगामी जनसुनवाई को लेकर उमा बदन सेवा समिति ने पुरजोर विरोध का ऐलान किया है। समिति का आरोप है कि यह जनसुनवाई और प्रस्तावित विस्तार पर्यावरणीय मानकों का उल्लंघन करते हैं और स्थानीय लोगों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे। समिति ने चेतावनी दी है कि यदि जनसुनवाई को रद्द नहीं किया गया, तो वे राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) और उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।




प्रस्तावित विस्तार और समिति के आरोप

स्कैनिया स्टील प्लांट ने 18 नवंबर को एक जनसुनवाई निर्धारित की है, जिसमें मौजूदा संयंत्र का विस्तार प्रस्तावित किया गया है। विस्तार योजना में आयरन प्लांट, कोल वाशरी, स्पंज आयरन प्लांट, कैप्टिव पावर प्लांट और कई अन्य इकाइयों का निर्माण शामिल है। समिति का दावा है कि इस विस्तार से पर्यावरणीय खतरे और कई तरह की तकनीकी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं।


समिति की रिपोर्ट और तकनीकी चिंताएँ

समिति ने विस्तार योजना के खिलाफ एक तकनीकी सर्वेक्षण किया और निम्नलिखित समस्याओं को उजागर किया:

1) पर्याप्त भूमि का अभाव: स्कैनिया प्लांट के चारों तरफ मुख्य सड़कों, अन्य संयंत्रों और एक जलाशय से घिरा होने के कारण विस्तार के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध नहीं है। बची हुई भूमि का एक हिस्सा आदिवासी क्षेत्र है, जिसका उपयोग अवैध रूप से किया जा रहा है। इसके अलावा, पीछे का क्षेत्र जलाशय से प्रभावित होने के कारण नमीयुक्त है, जो विस्तारित निर्माण के लिए अनुपयुक्त है।


2) सुरक्षा और मशीन संचालन: समिति का कहना है कि सीमित भूमि में संयंत्र का विस्तार करने से मशीनों का सुचारू संचालन और कर्मचारियों की सुरक्षा खतरे में आ जाएगी। साथ ही, पर्यावरण नियमों के अनुसार 33% भूमि को वृक्षारोपण के लिए आरक्षित करना अनिवार्य है, जिससे संयंत्र के पास विस्तार के लिए आवश्यक भूमि और कम हो जाएगी।


3) जल आपूर्ति और संसाधन प्रबंधन: संयंत्र में सतही जल आपूर्ति के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है और भूमिगत जल का अवैध तरीके से दोहन किया जा रहा है। इस कारण स्थानीय जलस्तर और संसाधनों पर दबाव बढ़ेगा।


4)  मलबे का निष्पादन और पर्यावरणीय क्षति: संयंत्र विस्तार से निकलने वाले मलबे के निपटान के लिए पर्याप्त स्थान नहीं है, जिससे पर्यावरणीय क्षति का खतरा है। केंद्रीय पर्यावरण संरक्षण बोर्ड के अनुसार, मलबे को नष्ट और रिसायकल करने के लिए संयंत्र में पर्याप्त स्थान होना चाहिए, जो यहाँ अनुपलब्ध है।


5) वन्यजीव संरक्षण की अनदेखी: संयंत्र के पास 3-5 किलोमीटर की दूरी पर वन्यजीव क्षेत्र है। वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के तहत संयंत्र द्वारा कोई उपाय नहीं किए गए हैं, जिससे आसपास के वन्यजीवों के जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।


समिति का अगला कदम

उमा बदन सेवा समिति ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे जनसुनवाई के दौरान इस अवैध और पर्यावरणीय दृष्टि से खतरनाक विस्तार का विरोध करें। समिति ने चेतावनी दी है कि अगर जनसुनवाई को रद्द नहीं किया गया, तो वे एनजीटी और उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे और इस विस्तार को रोकने का हर संभव प्रयास करेंगे। समिति का कहना है कि इस विस्तार से न केवल पर्यावरणीय संतुलन प्रभावित होगा बल्कि स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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