प्रशासनिक लापरवाही और दलालों की मिलीभगत से मजदूरों का शोषण जारी: महासमुंद में बढ़ता पलायन का ग्राफ

रिपोर्ट - ललित मुखर्जी, 91111 94424

महासमुंद (स्वाभिमान न्यूज़)  दीपावली पर्व के बाद एक बार फिर महासमुंद जिले से मजदूरों का पलायन शुरू हो जाएगा। हर साल की तरह इस बार भी ओडिशा, झारखंड, महाराष्ट्र, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के ईंट भट्ठों में छत्तीसगढ़ के भोले-भाले मजदूरों को बंधवा मजदूर बनाकर शोषण का शिकार बनाया जाएगा। महासमुंद जिले के पिथौरा, बसना, बागबाहरा और कोमाखान क्षेत्रों से सबसे अधिक मजदूर पलायन करते हैं। इन मजदूरों को लेकर करीब 15 से 20 दलाल सक्रीय हैं, जो इनका शोषण करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इनमें से कई दलालों के राजनीतिक पार्टियों से भी संबंध हैं, जो इस प्रक्रिया को आसान बनाते हैं।




पुलिस, श्रम विभाग की भूमिका पर सवाल

इस पूरे मामले में एक चिंताजनक पहलू यह है कि पलायन के इस गोरखधंधे को आसान बनाने में कुछ स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत है। ईंट भट्ठा काम से जुड़े एक व्यक्ति ने अपने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया कि ये दलाल, जिन्हें "भट्ठा सरदार" भी कहा जाता है, श्रम विभाग के आलाधिकारी, पुलिस विभाग के कप्तान और रास्ते के सभी थाना अधिकारियों से मिलकर मजदूरों के पलायन को बिना किसी रुकावट के अंजाम देते हैं।


सुस्त श्रम विभाग की कार्रवाई, हर साल 50 से 60 हज़ार मजदूरों का पलायन 

जिले से हर साल करीब 50 से 60 हजार मजदूर बेहतर रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेशों की ओर पलायन करते हैं। जिले में रोजगार के अभाव के चलते मजदूर मजबूरी में पलायन करते हैं। पिछले साल, श्रम विभाग के सुस्त रवैये के कारण पलायन को रोकने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी, जो चिंताजनक है। हालाँकि, इस वर्ष श्रम विभाग ने पलायन को रोकने के लिए कमर कस ली है और उम्मीद की जा रही है कि सख्त कार्रवाई की जाएगी।


जरूरी है ठोस कदम उठाना

महासमुंद जिले में श्रमिकों का इस तरह पलायन और शोषण रोकने के लिए प्रशासन को ठोस कदम उठाने की जरूरत है। पलायन रोकने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ-साथ श्रम विभाग की सख्त निगरानी बेहद जरूरी है।


पलायन पंजी बनाने रूचि नहीं

प्रत्येक पंचायतों में पलायन करने वाले मजदूरों की पलायन पंजी अनिवार्य रूप से रखने के निर्देश पिछले वर्ष कलेक्टर ने दिए थे। कलेक्टर ने प्रतिमाह की 5 तारीख तक पलायन करने वाले मजदूरों की संख्यात्मक जानकारी सरपंच व सचिव के संयुक्त हस्ताक्षर से दी जाने कि सख्त निर्देश दिए थे। लेकिन इस निर्देश का पालन पिछले वर्ष किस प्रकार किया गया  है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज तक किसी भी जपं द्वारा मजदूरों के पलायन की जानकारी कलेक्टोरेट व जिला पंचायत नहीं भेजी गई है।


आता है गंभीर अपराध की श्रेणी में

भोले-भाले ग्रामीणों को ज्यादा पैसे देने के प्रभोलन देकर वे अन्य प्रदेश ले जाते है। वहां जाने के बाद किसी ईट भट्‌ठा में छोड़कर उसको उनके हालात में छोड़कर आ जाते है। जिससे ग्रामीण मजदूर बंधक बन जाते है। श्रम विभाग के अधिकारी ने बताया कि यह गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। मजदूरों को पलायन कराने वाले भठ्ठा दलालों के खिलाफ मानव तस्करी के धाराओं के तहत FIR दर्ज कर जेल भेजा जाता है l 

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