महासमुंद (स्वाभिमान न्यूज़)। पिथौरा के तहसील कार्यालय से रोज नए नए कारनामें सामने आ रहे हैं। शासकीय जमीनों की बंदरबांट रुकने का नाम नहीं ले रहा है।
यहां धड़ल्ले से बड़े झाड़ के जंगल और सीलिंग एक्ट की भूमि की नामातंरण का खेल चल रहा है। पटवारी जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से सरकारी जमीन का उल्लेख होने के बावजूद यहाँ के तहसीलदार नितिन ठाकुर के द्वारा नामान्तरण किया जा रहा है। और शासकीय जमीन निजी व्यक्ति के नाम चढ़ रहा है। कलेक्टर की अनुमति के बगैर धड़ल्ले से सरकारी जमीनों का खरीदी बिक्री हो रही है।
हाईलाइट -
- अधिकार अभिलेख रिकॉर्ड वर्ष 1955 - 56 में बड़े झाड़ के मद में दर्ज
- जो कि नियमानुसार नामान्तरण व विक्रय नहीं हो सकती थी, बावजूद इसके नामातंरण किया गया।
- नोटिस इश्तिहार व पटवारी प्रतिवेदन नहीं लिया गया।
- अवैधानिक रूप से जमीन की खरीदी बिक्री एवं नामातंरण किया गया।
पिथौरा तहसील के तहसीलदार नितिन ठाकुर हमेशा ही सुर्खियों में बने रहते हैं। जाड़ामुड़ा धान खरीदी केंद्र में करीब 200 एकड़ फर्जी रकबा बढ़ने में इनके ऊपर खतरा मंडरा रहा है कि दूसरा मामला सामने आ गया है। यहां पटवारी हल्का नंबर 103 ग्राम शंकरपुर के बड़े झाड़ के जंगल की मद में दर्ज भूमि का नामान्तरण किया गया। और सरकारी जमीन को निजी व्यक्ति के नाम दर्ज कर दिया गया। जबकि उक्त जमीन का अधिकार अभिलेख 1955 - 56 में बड़े झाड़ के जंगल मद में दर्ज है। बावजूद इसके नामान्तरण कर दिया गया। इस जमीन का नोटिस इश्तिहार का पावती भी दर्ज नहीं है, जिसमें दावा आपत्ति होता, और गांव के कोटवार सहित अन्य प्रमुख लोगों का हस्ताक्षर होता है।
इस तरह बेसकीमती शासकीय जमीनों का जमीन दलालों के साथ तहसीलदार मिलकर बंदरबाट करने में लगे हुए हैं। जबकि इस जमीन का शासकीय कार्य के लिए उपयोग किया जा सकता था। इतना ही नहीं कुछ दिन पूर्व ग्राम गिरना के सीलिंग एक्ट की भूमि का नामातंरण किया गया। जबकि आपत्तिकर्ता द्वारा महत्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्तुत किये गए थे , जिसमें सीलिंग एक्ट की भूमि होने का स्पष्ठ उल्लेख था। फिलहाल ग्राम शंकरपुर की सरकारी जमीन का महासमुंद कलेक्टर से शिकायत किया गया है। वहीं गिरना की सीलिंग एक्ट की भूमि का आपत्तिकर्ता द्वारा परिवाद पेश करने की बात सामने आ रही है। लिहाजा पिथौरा तहसीलदार नितिन ठाकुर के ऊपर दोहरा संकट मंडरा रहा है।
जब हमने इस सम्बंध में तहसीलदार नितिन ठाकुर से संपर्क करने की कोशिश की तो तहसीलदार साहब हमारे प्रतिनिधि के मोबाइल नंबर को ब्लेक लिस्ट में डाल दिये, जिसके कारण उनका पक्ष नहीं लिया जा सका।