छत्तीसगढ़ में सफल ओबीसी महिला राजनेता - श्रीमति रूपकुमारी चौधरी
महासमुंद। राजनीति की पुरुष प्रधान दुनिया में, रूढ़ियों को तोड़ना और सामाजिक मानदंडों को चुनौती देना एक कठिन काम हो सकता है। हालाँकि छत्तीसगढ़ राज्य में श्रीमति रूपकुमारी चौधरी ने राजनीतिक क्षेत्र में अपनी पहचान बना कर इस बाधाओं को हराया है। अपने दृढ़ संकल्प, जुनून और नेतृत्व गुणों के साथ न केवल संगठन बल्कि सत्ता में भी उच्च पदों पर अपनी अलग छाप छोड़ चुकी है।
इससे पहले कि हम सफलता की कहानियों में उतरें, आइए राजनीति में ओबीसी प्रतिनिधित्व के महत्व को समझें। ओबीसी भारत की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और संतुलित प्रतिनिधित्व के लिए राजनीतिक निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में उनका शामिल होना महत्वपूर्ण है। ओबीसी महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने से, समाज अधिक समावेशी और विविध हो जाता है, जिससे हाशिए पर रहने वाले समुदायों की बेहतरी हो सकती है।
अपने व्यावहारिक आचरण और अटूट समर्पण के साथ, जिला पंचायत सदस्य से अपनी राजनीति की शुरुआत करते हुए, बसना विधानसभा से विधायक निर्वाचित होने के पश्चात छत्तीसगढ शासन में संसदीय सचिव (राज्यमंत्री) महिला एवं बाल विकास विभाग का दायित्व संभालते छत्तीसगढ़ के राजनीतिक परिदृश्य पर एक अमिट छाप छोड़ी है। साथ ही भाजपा संगठन में प्रदेश मंत्री भी रह चुकी है एवं वर्तमान में छत्तीसगढ़ की एक मात्र महिला जिलाध्यक्ष है जो की भाजपा संगठन प्रति उनका अटूट समर्पण उनकी प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
श्रीमती रूपकुमारी चौधरी के लिए राजनीतिक सशक्तिकरण की यात्रा प्रणालीगत पूर्वाग्रहों, लिंग भेदभाव और विकास के सीमित अवसरों सहित बाधाओं से भरी है। हालाँकि, श्रीमति चौधरी ने इन चुनौतियों को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया। इसके बजाय, उन्होंने बदलाव लाने और अधिक समावेशी राजनीतिक माहौल बनाने के लिए इनका उपयोग कदम उठाने के पत्थर के रूप में किया है।