महासमुंद (स्वाभिमान न्यूज़)। अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर ईश्वर छाटा, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ विकलांग मंच, ने विकलांग व्यक्तियों की समस्याओं और उनके समाधान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि विकलांगता केवल शारीरिक बाध्यता नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और मानसिक समस्याओं से भी जुड़ी है, जिसके समाधान के लिए समावेशी दृष्टिकोण की आवश्यकता है।
विकलांगों की प्रमुख समस्याएँ
1. शारीरिक और मानसिक चुनौतियाँ
विकलांग व्यक्तियों को अपनी शारीरिक और मानसिक स्थितियों के कारण दैनिक जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। शारीरिक विकलांगता जैसे दृष्टिहीनता, श्रवण दोष, और मोटर कौशल की कमी, साथ ही मानसिक विकलांगता, उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करती है।
2. शिक्षा और रोजगार में बाधाएँ
विकलांग बच्चों को समावेशी शिक्षा और विशेष विद्यालयों की कमी के कारण शिक्षा से वंचित होना पड़ता है। वहीं, रोजगार में भी उन्हें समान अवसर नहीं मिलते। निजी क्षेत्र में विकलांग व्यक्तियों को नियुक्ति देने में अनिच्छा देखी जाती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनने में असमर्थ हो जाते हैं।
3. स्वास्थ्य और पुनर्वास सेवाओं का अभाव
विशेष उपकरणों और पुनर्वास सेवाओं की कमी विकलांग व्यक्तियों के लिए एक बड़ी चुनौती है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति और भी खराब है, जहां स्वास्थ्य सुविधाओं तक उनकी पहुंच सीमित है।
4. परिवहन और सार्वजनिक सुविधाओं का अभाव
सार्वजनिक परिवहन और स्थानों में विकलांग व्यक्तियों के लिए बुनियादी सुविधाओं, जैसे रैंप, लिफ्ट, और विशेष शौचालय, की कमी है। इससे उनका जीवन और कठिन हो जाता है।
5. सामाजिक भेदभाव और मानसिक समस्याएँ
विकलांग व्यक्तियों को अक्सर भेदभाव और अस्वीकृति का सामना करना पड़ता है, जिससे उनका आत्मविश्वास कमजोर होता है। सामाजिक गतिविधियों में भागीदारी की कमी उन्हें अलग-थलग कर देती है, जो उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
समस्याओं के समाधान पर जोर
ईश्वर छाटा ने कहा कि समाज को विकलांगता को एक समस्या के बजाय एक सामाजिक और मानवाधिकार के रूप में देखना चाहिए। उन्होंने विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को सख्ती से लागू करने और उन्हें जागरूक करने पर बल दिया। उन्होंने शिक्षा, रोजगार, परिवहन, और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा, "सरकार और समाज दोनों को मिलकर विकलांग व्यक्तियों के लिए समावेशी माहौल बनाना होगा, ताकि वे अपने जीवन को गरिमा और आत्मनिर्भरता के साथ जी सकें।"
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस का यह अवसर विकलांग व्यक्तियों की समस्याओं पर चर्चा करने और उनके समाधान के लिए ठोस कदम उठाने का आह्वान करता है।