पिथौरा (स्वाभिमान न्यूज़) : श्री गुरु नानक देव जी के ऐतिहासिक तीर्थ स्थल नानक सागर में रविवार को होला महल्ला महोत्सव धूमधाम से संपन्न हुआ। हजारों सिक्ख श्रद्धालुओं और अन्य धर्मों के भक्तों की उपस्थिति में यह भव्य आयोजन संपन्न हुआ। कार्यक्रम में श्री अखंड पाठ साहिब के समापन के पश्चात चंदन और फूलों की होली खेली गई, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।
होला महल्ला कार्यक्रम से पहले, 21 मार्च को दिल्ली से पहुंचे देवेंद्र सिंह आनंद और रायपुर के रिंकू ओबेरॉय ने गढ़फुलझर गुरुद्वारे में श्री अखंड पाठ का शुभारंभ किया था, जिसका समापन रविवार सुबह 9 बजे हुआ। इसके उपरांत दिल्ली के परमजीत सिंह कीर्तन जत्था, टाटीबंध रायपुर से पहुंचे हजूरी जत्था भाई नितिनदीप सिंह, और ज्ञानी हरदीप सिंह, हैप्पी सिब्बल ने गुरबाणी कीर्तन कर श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया। तत्पश्चात विशाल गुरु का लंगर आयोजित किया गया, जिसमें संगत ने प्रेमपूर्वक भोजन ग्रहण किया।
सिक्ख योद्धाओं का अद्भुत प्रदर्शन, साहसिक खेलों में दिखी भारी भीड़
होला महल्ला के दौरान सिक्खों के परंपरागत गतका (मार्शल आर्ट) का प्रदर्शन हुआ, जिसमें "हम चाकर गोविंद के" टीम ने संयोजक हरिंदर सिंह हरू के निर्देशन में शानदार कौशल दिखाया। इसके अतिरिक्त रस्साकसी, कबड्डी, कुश्ती और तलवारबाजी जैसे पारंपरिक साहसिक खेलों का प्रदर्शन भी किया गया, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े।
देशभर से श्रद्धालु पहुंचे, झारखंड-उड़ीसा से भी संगत का जमावड़ा
गुरु नानक देव जी के पवित्र स्थल नानक सागर पर आयोजित इस पर्व में रांची, दिल्ली, ओडिशा के खरियार रोड, बरगढ़, खरसिया, सरायपाली, रायपुर, भिलाई, दुर्ग, राजनांदगांव और दल्लीराजहरा से श्रद्धालु पहुंचे।
भैना राजा के वंशज भी हुए शामिल, 519 वर्षों पुरानी परंपरा को किया याद
गौरतलब है कि करीब 519 वर्ष पूर्व श्री गुरु नानक देव जी अपनी उदासी यात्रा के दौरान रानीसागर फुलझर के राजा भैना के निमंत्रण पर यहाँ दो दिन रुके थे। उनकी उपस्थिति से प्रभावित होकर राजा ने रानीसागर का नाम नानक सागर रख दिया था। इस ऐतिहासिक संबंध को मान्यता देते हुए राजा भैना के वंशज राजा आर. राजभानु, बी.पी. राजभानु, अजित राजभानु और मनमोहन दास वैष्णव सहित पूरा राजपरिवार होला महल्ला कार्यक्रम में सम्मिलित हुआ।
होला महल्ला में शामिल प्रमुख श्रद्धालु और समाजसेवी
इस भव्य आयोजन में देशभर से प्रतिष्ठित सिक्ख संगत शामिल हुई, जिनमें दिल्ली के देवेंद्र सिंह आनंद, दुर्ग के हरविंदर सिंह हरू, सिकंदर सिंह, हरिकिशन सिंह राजपूत, राजकिशोर, अजित सिंह, रिंकू ओबेरॉय, जसपाल सिंह खैरा, गुरप्रीत सिंह (फोटोग्राफर), रविंद्र सिंह चावला, हरपाल सिंह, जोगिंदर सिंह, बंटी चावला, कुलदीप सिंह पाली, बोनी चांडक, सरबजीत सिंह, लखबीर सिंह छाबड़ा, भगतराम वाधवा और रोमी सलूजा प्रमुख थे।
बंजारा समाज से गुहराम बंजारा, रामलाल नायक, लाल सिंह बंजारा, नोहर सिंह बंजारा, मालिकराम बंजारा और नेहरू नायक भी इस आयोजन में शरीक हुए।
गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की अहम भूमिका
स्थानीय गढ़फुलझर गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान हरजिंदर सिंह, सचिव महिपाल सिंह जटाल, जगपाल सिंह, जोगिंदर सिंह, सतपाल सिंह, जसपाल सिंह, टिंकू अंशु, अवतार सिंह, जनरेल सिंह, धर्मपाल सिंह और बंटी सिंह ने पूरे कार्यक्रम के सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
छत्तीसगढ़ के विभिन्न गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटियाँ और सिख संगत भी इस पावन आयोजन का हिस्सा बनीं, जिससे नानक सागर का यह ऐतिहासिक पर्व अद्भुत और यादगार बन गया।
— स्वाभिमान न्यूज़, पिथौरा